Monday, October 5, 2015

मेरी कलम से

बहुत वक़्त से सपने आते थे मुझे उस लड़की के..पर सपने में अँधेरा बहुत हुआ करता था इसलिए कभी उसकी शक़्ल देख नहीं पाया..फिर एक दिन तुम मिली और मेरे जीवन में तुम आई..
तुमसे बेइंतेहा मोहब्बत हुई मुझे..तुम्हारे बिना जीना दूभर हो गया..इश्क़ परवान चढ़ने लगा..हम एक होने लगे..वो लड़की फिर भी मेरे सपने में आती थी..पर इस बार चेहरा दिखा उसका..वो लड़की जो मेरे सपनों में आया करती थी, वो कौन थी मैं जान गया..
अगर तुम जानना चाहो कि वो लड़की कौन थी तो तुम्हारे कमरे में वो जो कांच का बड़ा टुकड़ा है न जिसके आगे खड़ी हो कर तुम खुद को संवारती हो, देख लेना उसमें..मगर ज़्यादा मत देखना, सुना है खुद की नज़र सबसे पहले लगती है..

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