इंजिनियरींग कॉलेज मे दोस्तों के बाद ऑरकुट ही तो था,जिसने
पहली प्रेम-पत्री पहुंचाई
थी,उसको इम्प्रेस करने के लिए कितने सारे दोस्तों के
हाथ-पैर जोड़ के बढ़िया से टेस्टीमोनियल लिखवाए
थे...ऐसे ही घंटो बिता दिया करते
थे,अनजानी प्रोफाइल देखते देखते,और मेरे एक
परम मित्र ने जो लड़कियों की फोटो इकठ्ठा कर के
उनका एक कलेक्शन वाला 4 GB का फोल्डर बनाया था,वो आज
भी तो उसके कंप्यूटर
की सी ड्राइव में विंडोज के बूट फोल्डर
के अन्दर फोंट्स वाले फोल्डर में पड़ा हुआ है.
ऑरकुट से पहली बार सोशल
मीडिया के बारे में जाना,अनजाने लोगों से बात
करने,अपनी बात रखने की हिम्मत
जुटा पाया,अपना दायरा बढ़ा पाया| कॉलेज की उन तमाम
यादों में ऑरकुट और उससे जुड़े कई किस्से आज
भी सालों बाद मिलने पर मुस्कराहट के कारण बनते
हैं|
आज ऑरकुट बूढा हो गया,90 के मध्य दशक में पैदा होने
वालों के लिए फेसबुक, ट्विटर और whatsapp बेस्ट थिंग
है.पर 80 के दशक में पैदा हुए लोगों के लिए ऑरकुट आज
भी कई यादें समेटे हुएआज ऑरकुट
की हालत
आडवाणीजी जैसी हो गयी है,घर
के उपेक्षित बुजुर्ग जैसी|
अभी फेसबुक है.....कल कुछ और
नया आएगा..वक़्त सब का आता है...समय
किसी के लिए नही रुकता....
बाय बाय ‘ऑरकुट’
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